Punjab: किसानों का चंडीगढ़ में स्थायी मोर्चा लगाने पर अडिग रुख, आज सीएम के साथ बैठक
Punjab: पंजाब सरकार द्वारा कृषि नीति को सार्वजनिक न करने के बाद किसान संगठन सेक्टर 34 के दशहरा ग्राउंड में अपना प्रदर्शन खत्म करने को तैयार नहीं हैं। किसान स्थायी मोर्चा लगाने पर अड़े हुए हैं। किसानों के इस कड़े रुख को देखते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने उन्हें गुरुवार को बैठक के लिए बुलाया है।
प्रशासन ने किसान संगठनों को दोपहर 3 बजे होने वाली बैठक का पत्र सौंप दिया है। भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के प्रमुख जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि अगला फैसला मुख्यमंत्री के साथ होने वाली बैठक के बाद ही लिया जाएगा।
12 किसान नेता समय पर पहुंचे पंजाब भवन
बुधवार को, पंजाब सरकार ने इस मोर्चे को समाप्त करने की पहल की। किसान संगठनों को संदेश दिया गया कि उनकी बैठक शाम 5 बजे मुख्य सचिव अनुराग वर्मा के साथ होगी। लगभग 12 किसान नेता समय पर पंजाब भवन पहुंचे, लेकिन वहां पहुंचने पर एक नया मोड़ आया।
कृषि विभाग के अधिकारियों ने किसान नेताओं को एक पत्र सौंपा, जिसमें यह बताया गया कि बुधवार की बैठक को लेकर कुछ गलतफहमी थी। अब आपकी बैठक मुख्यमंत्री के साथ गुरुवार को होगी। इससे यह साफ हो गया कि सरकार ने किसानों की मांगों और उनके विरोध को गंभीरता से लिया है और मुख्यमंत्री स्तर पर बातचीत करने का फैसला किया है।
उगराहां समूह का सितंबर 1 से जारी प्रदर्शन
भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां समूह 1 सितंबर से चंडीगढ़ के सेक्टर 34 के दशहरा ग्राउंड में प्रदर्शन कर रहा है। चंडीगढ़ प्रशासन ने उन्हें चार दिनों के लिए प्रदर्शन की अनुमति दी थी, जो बुधवार को समाप्त हो गई। लेकिन किसान अपने विरोध प्रदर्शन को समाप्त करने के बजाय, स्थायी मोर्चा लगाने पर अड़े हुए हैं। किसानों की मुख्य मांग है कि सरकार कृषि नीति को सार्वजनिक करे और उनके हितों को ध्यान में रखकर उचित निर्णय ले।
किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, वे धरना स्थल नहीं छोड़ेंगे। उनके अनुसार, सरकार ने बार-बार वादे किए हैं, लेकिन इन वादों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। किसान संगठनों का यह भी कहना है कि जब तक सरकार उनके साथ ठोस बातचीत नहीं करती और उनकी समस्याओं का समाधान नहीं करती, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
किसानों के रुख से सरकार पर दबाव
किसानों के इस कड़े रुख ने पंजाब सरकार को दबाव में ला दिया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किसानों की मांगों को गंभीरता से लेते हुए गुरुवार को एक बैठक बुलाई है। ऐसा माना जा रहा है कि इस बैठक में कृषि नीति के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की जाएगी और सरकार किसानों के साथ समझौता करने की कोशिश करेगी।
मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई इस बैठक के बारे में कहा जा रहा है कि यह सरकार के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है। किसानों के कड़े रुख को देखते हुए यह संभावना है कि सरकार को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है। इस बैठक के नतीजे से यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि सरकार और किसानों के बीच जारी टकराव का क्या समाधान निकल सकता है।
कैबिनेट बैठक का आह्वान
बुधवार को विधानसभा के मानसून सत्र के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गुरुवार को सुबह 11 बजे एक कैबिनेट बैठक बुलाई है। ऐसा माना जा रहा है कि यह बैठक मुख्यमंत्री और किसान संगठनों के बीच होने वाली 3 बजे की बैठक पर विचार करने के लिए बुलाई गई है। सरकार इस बैठक में किसान संगठनों के साथ बातचीत की रणनीति तैयार कर सकती है।
सरकार के सामने अब यह चुनौती है कि वह किसानों की मांगों को किस तरह से पूरा करती है और किस हद तक उनके साथ संवाद स्थापित कर पाती है। कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री के साथ किसानों की बैठक से काफी उम्मीदें लगाई जा रही हैं। इस बैठक का परिणाम न केवल पंजाब के किसानों के लिए महत्वपूर्ण होगा, बल्कि यह राज्य की राजनीतिक स्थिति पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है।
किसानों की मांगें और सरकार की स्थिति
किसान संगठन लंबे समय से कृषि नीति को लेकर सरकार से मांग कर रहे हैं कि वह इसे सार्वजनिक करे। किसानों का आरोप है कि सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं ले रही है और नीति निर्माण में किसानों की भागीदारी नहीं हो रही है।
पंजाब में कृषि क्षेत्र राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। ऐसे में किसानों की मांगों को अनदेखा करना सरकार के लिए कठिन हो सकता है। किसानों का यह भी कहना है कि अगर सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती, तो उनका आंदोलन और तेज हो जाएगा और वे अन्य जिलों में भी अपने प्रदर्शन को फैलाने की योजना बना रहे हैं।
दूसरी ओर, पंजाब सरकार का कहना है कि वह किसानों के साथ संवाद स्थापित करने और उनकी मांगों पर विचार करने के लिए तैयार है। लेकिन सरकार को इस बात की चिंता है कि अगर वह किसानों की सभी मांगों को मान लेती है, तो यह नीति निर्माण प्रक्रिया में एक नजीर बन सकती है। इसके अलावा, सरकार पर पहले से ही वित्तीय दबाव है, और किसानों की कुछ मांगें आर्थिक रूप से व्यवहारिक नहीं हो सकतीं।
क्या होगा आगे?
अब सबकी नजरें गुरुवार को होने वाली मुख्यमंत्री और किसान संगठनों के बीच होने वाली बैठक पर टिकी हैं। यह बैठक निर्णायक हो सकती है और इससे पंजाब में किसानों के आंदोलन की दिशा तय हो सकती है।
अगर सरकार और किसानों के बीच कोई समझौता होता है, तो यह प्रदेश में शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण कदम होगा। लेकिन अगर यह बैठक विफल रहती है, तो किसानों का आंदोलन और तेज हो सकता है, जिससे राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है।
किसान संगठनों ने यह साफ कर दिया है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे दशहरा ग्राउंड में स्थायी मोर्चा लगाएंगे। इससे न केवल चंडीगढ़ की सामान्य स्थिति प्रभावित हो सकती है, बल्कि राज्य भर में किसानों के आंदोलन को और मजबूती मिल सकती है।